IVF के लिए उम्रकैद की सजा काट रहे दंपती ने की पेरोल की मांग
नई दिल्ली- उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि महिला की पिछली शादी से दो बच्चे हैं और याचिकाकर्ताओं ने पेरोल पर रहने के दौरान शादी की थी। ऐसे में आईवीएफ के माध्यम से संतान प्राप्ति के लिए पेरोल को आकस्मिक मामले के रूप में नहीं माना जा सकता है।
राजस्थान की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे दंपती ने संतान प्राप्ति के लिए IVF कराने के लिए पेरोल की मांग की है। इसको लेकर दंपती ने राजस्थान हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। दरअसल, हाईकोर्ट ने दंपती की याचिका को खारिज कर दिया था।
मामले पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान के अधिकारियों से दंपती की पेरोल पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने को कहा है। जस्टिस सूर्यकांत और जेके माहेश्वरी की पीठ ने कहा है कि याचिकाकर्ता पेरोल के हकदार थे, क्योंकि 45 वर्षीय महिला को गर्भ धारण करने के लिए चिकित्सीय उपचार की आवश्यकता होती है।
याचिकाकर्ता आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं और वर्तमान में वे ओपन एयर कैंप, दुर्गापुरा, जयपुर में बंद हैं, जहां वे क्वार्टर में एक साथ रहते हैं। हालांकि, 45 वर्षीय महिला का उदयपुर के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है, इसलिए अधिकारी दोनों को वहां की जेल में स्थानांतरित करने के लिए तैयार हैं। शीर्ष अदालत ने दंपती को पेरोल के लिए आवेदन करने की छूट देते हुए अधिकारियों से इस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने को कहा है। सुप्रीम कार्ट ने कहा है कि अगर इस मामले में कानूनी बाधा नहीं आती है तो दंपती को पेरोल दी जाए।
महिला के पहले से हैं दो बच्चे
इससे पहले उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि महिला की पिछली शादी से दो बच्चे हैं और याचिकाकर्ताओं ने पेरोल पर रहने के दौरान शादी की थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि नियम के मुताबिक, आकस्मिक पेरोल केवल मानवीय विचार से जुड़े आपात मामलों में ही दिए जा सकते हैं। कोर्ट ने कहा था कि चूंकि महिला के पहले से ही दो बच्चे हैं, ऐसे में आईवीएफ के माध्यम से संतान प्राप्ति के लिए पेरोल को आकस्मिक मामले के रूप में नहीं माना जा सकता है।